CM-जजों की कॉन्फ्रेंस में बोले पीएम मोदी, स्थानीय भाषा में हो अदालती कार्यवाही, तब न्यायिक प्रणाली से जुड़ाव महसूस करेगी जनता
इस सम्मेलन में भारत के प्रधान न्यायाधीश एनवी रमण और केंद्रीय कानून व न्याय मंत्री किरेन रिजिजू भी मौजूद रहे.
शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजधानी दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में राज्यों के मुख्यमंत्रियों और उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों के संयुक्त सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित किया. इस सम्मेलन में भारत के प्रधान न्यायाधीश एनवी रमण और केंद्रीय कानून व न्याय मंत्री किरेन रिजिजू भी मौजूद रहे. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘राज्य के मुख्यमंत्रियों और उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों की ये संयुक्त सम्मेलन हमारी संवैधानिक खूबसूरती का सजीव चित्रण है. मुझे खुशी है कि मुझे भी इस मौके पर आप सभी के बीच कुछ पल बिताने का अवसर मिला है.’
उन्होंने कहा कि एक ओर हमारे देश में जहां न्यायपालिका की भूमिका संविधान संरक्षक की है, वहीं विधायिका नागरिकों की आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करती है. मुझे विश्वास है कि संविधान की इन दो धाराओं का यह संगम, यह संतुलन देश में प्रभावी और समयबद्ध न्याय व्यवस्था का रोडमैप तैयार करेगा. पीएम मोदी ने कहा कि आजादी के इन 75 वर्षों ने न्यायपालिका और कार्यपालिका दोनों की ही भूमिका और जिम्मेदारियों को निरंतर स्पष्ट किया है. जहां जब भी जरूरी हुआ, देश को दिशा देने के लिए दोनों संस्थाओं के बीच का यह संबंध लगातार विकसित हुआ है.
पीएम मोदी ने इस अवसर पर कहा कि कोर्ट में हमें स्थानीय भाषाओं को प्रोत्साहन देने की जरूरत है. इससे देश के सामान्य नागरिकों का न्याय प्रणाली में भरोसा बढ़ेगा, वे जुड़ाव महसूस करेंगे. आज भी हमारे देश में हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट की सारी कार्यवाही अंग्रेजी में होती है. एक बड़ी आबादी को न्यायिक प्रक्रिया से लेकर फैसलों तक को समझना मुश्किल होता है, हमें व्यवस्था को आम जनता के लिए सरल बनाने की जरूरत है. एक गंभीर विषय आम आदमी के लिए कानून की पेंचीदगियों का भी है. 2015 में हमने करीब 1800 ऐसे कानूनों को चिन्हित किया था जो अप्रासंगिक हो चुके थे. इनमें से जो केंद्र के कानून थे, ऐसे 1450 कानूनों को हमने खत्म किया. लेकिन, राज्यों की तरफ से केवल 75 कानून ही खत्म किए गए हैं.
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