धार्मिक पर्यटन के लिए सीता की रसोई के साथ राम-लक्ष्मण की गुफाएं भी संवरेंगी : छत्तीसगढ़ सरकार

-विकास परियोजना में सीतामढ़ी-हरचौका व रामगढ़ भी शामिल, वनवास के दौरान भगवान राम ने छत्तीसगढ़ में बिताया था लम्बा समय

नई दिल्ली, 04अगस्त (TSN)। छ्त्तीसगढ़ में भगवान राम के वनवास काल से संबंधित जिन स्थानों को पर्यटन-तीर्थ के रूप में विकसित किया जा रहा है, उनमें कोरिया जिले का सीतामढ़ी -हरचौका तथा सरगुजा का रामगढ़ भी शामिल है और रामगढ़ विश्व की प्राचीनतम नाट्यशाला के लिए भी प्रसिद्ध है। महाकवि कालिदास ने अपनी कालजयी कृति मेघदूतम् की रचना यहीं पर की थी।
वनवास के दौरान भगवान राम ने कोरिया जिले से ही छत्तीसगढ़ में प्रवेश किया था। भरतपुर तहसील के जनकपुर में स्थित सीतामढ़ी-हरचौका को उनका पहला पडा़व माना जाता है। मवाई नदी के किनारे स्थित सीतामढ़ी-हरचौका की गुफा में 17 कक्ष हैं। इसे सीता की रसोई के नाम से भी जाना जाता है। वहां एक शिलाखंड हैै जिसे लोग भगवान राम का पद-चिन्ह मानते हैं।
हरचौका कहलाती है सीता की रसोई
मवाई नदी तट पर स्थित गुफा को काट कर 17 कक्ष बनाए गए हैं, जिनमें शिवलिंग स्थापित हैं। इसी स्थान को हरचौका (रसोई) के नाम से जाना जाता है। भगवान राम हरचौका से रापा नदी के तट पर स्थित सीतामढ़ी-घाघरा क्षेत्र में पहुंचे थे। यहां करीब 20 फीट ऊपर 4 कक्षों वाली गुफा है, जिसके बीच में शिवलिंग स्थापित है।
महाकवि कालिदास के मेघदूतम् में रामगढ़ पहाड़ी के दृश्यों का हुआ है अंकन
आगे की यात्रा में श्रीराम, घाघरा क्षेत्र से निकलकर कोटाडोला होते हुए सरगुजा जिले की रामगढ़ पहाड़ी पहुंचे थे। यह अम्बिकापुर- बिलासपुर मार्ग पर स्थित है। इसे रामगिरि भी कहा जाता है। महाकवि कालिदास के मेघदूतम् में इसी स्थान के दृश्यों का अंकन हुआ है। वनवास के दौरान श्रीराम ने पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ यहां कुछ दिन बिताए थे। इसीलिए वहां स्थित गुफाएं, दुनियां में उन्हीं के नाम से जानी जाती हैं। राम के तपस्वी वेश के कारण एक का नाम जोगीमारा, दूसरे का सीता बेंगरा एवं एक अन्य का लक्ष्मण गुफा पड़ गया।
सीएम भूपेश बघेल की महत्वाकांक्षी परियोजना 
 
भगवान राम के वनवास काल से संबंधित स्थानों का पर्यटन-तीर्थ के रूप में विकास मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की महत्वाकांक्षी परियोजना है। इसके लिए राम वन गमन परिपथ तैयार किया जा रहा है। शासन ने राम से संबंधित 75 स्थानों का चयन किया है। पहले चरण में इनमें से 9 स्थानों का सौंदर्यीकरण एवं विकास किया जा रहा है। इसके लिए 137 करोड़ 45 लाख रुपये की कार्ययोजना तैयार की गई है। इस परिपथ में अच्छी सड़कों समेत विभिन्न तरह की नागरिक सुविधाएं भी विकसित की जाएंगी।
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