बिजनौर में दरक रहा बसपा का बेस वोट बैंक, हो सकता है डायवर्ट!

दो दिन पहले भी बसपा के पुराने नेताओं को कार्यक्रम में नहीं मिली थी तरजीह

मवाना। बिजनौर लोस सीट बसपा के खाते में जाने के बावजूद पुराने बसपाइयों को वोट कैंपेनिंग में तरजीह नहीं दी जा रही है। दो दिन पूर्व मवाना नगर पालिका के मैदान में हुई जनसभा में कुछ इसी तरह का नजारा देखने को मिला। यहां तक कि बसपा प्रत्याशी ने संबोधन के दौरान एक पुराने बसपाई को गुस्से में डपटते हुए चुप रहने को कह दिया था। वहीं, मोटी रकम देकर हासिल किए गए टिकट की चर्चाओं से आम बसपाई अपने आप को ठगा महसूस कर रहा है।

गौरतलब है कि सपा-बसपा और रालोद के गठबंधन में बिजनौर सीट बसपा के खाते में चली गई है। काफी रस्साकशी के बाद 2014 में इसी सीट से बसपा प्रत्याशी रहे मलूक नागर को पार्टी ने फिर से टिकट देकर चुनावी रण में उतारा है। नागर के अलावा भाजपा से निवर्तमान सांसद भारतेंद्र भाजपा और प्रदेश के पूर्व कैबिनेट मंत्री रहे नसीमुद्दीन सिद्दीकी कांग्रेस से मैदान में हैं। पिछली बार मलूक नागर तीसरे स्थान पर रहे थे।

बसपा प्रत्याशी मलूक नागर गठबंधन प्रत्याशी होने के चलते अपनी जीत के प्रति आश्वस्त हैं, लेकिन यही अति आत्मविश्वास उन्हें शिकस्त का स्वाद फिर से चखा सकता है। दरअसल, अति आत्मविश्वास के चलते बसपा खेमे में पुराने बसपाइयों को सम्मान नहीं मिल रहा है। दो दिन पूर्व नगर पालिका मैदान में बसपा प्रत्याशी की जनसभा थी। इस कार्यक्रम के बारे में चंद ठेकेदार सरीखे लोगों को ही जानकारी दी गई थी। जबकि पुराने बसपाइयों को पूछा तक नहीं गया, जानकारी देने की बात ही दूर थी। नगर की बसपा राजनीति में अच्छा कद रखने वाले ने अपने मन की टीस को टॉप स्टोरी संवाददाता से साझा किया और कहा कि जब पार्टी हाईकमान करोड़ों लेकर हमारी वोटों का सौदा कर रही है तो प्रत्याशी की नजर में सम्मान मिलना मुश्किल ही होगा।

मंच से जब बसपा प्रत्याशी जनसभा को संबोधित कर रहे थे तो उनके पीछे खड़े एक पुराने बसपा नेता अपने कार्यकर्ता को निर्देशित कर रहे थे। मामूली आवाज होने पर बसपा प्रत्याशी ने संबोधन के बीच में बसपा नेता को डपटते हुए चुप रहने को कहा। इस पर बसपा नेता अपने आप को अपमानित महसूस कर रहे हैं। कमोबेश यही स्थिति क्षेत्र के अधिकांश बसपा नेताओं की भी है। यहां तक कि कार्यक्रम की शाम को हस्तिनापुर रोड स्थित प्रत्याशी के कार्यालय में इसी को लेकर बसपा कार्यकर्ताओं की प्रत्याशी के निजी समर्थकों के बीच तीखी नोंकझोंक हुई, जिसकी वीडियो वायरल हो रही है। पुराने बसपा कार्यकर्ताओं की यही टीस ईवीएम का बटन दबाते समय वोट के रूप में अपने अपमान का जवाब दे सकती है।

यही हाल सपा का :
यूं तो सपा मुखिया अखिलेश यादव के निर्देश पर पार्टी कार्यकर्ता बसपा प्रत्याशी के कार्यक्रम में पहुंच रहे हैं, लेकिन उनकी स्थिति भी बसपाइयों की तरह हो रही है। यहां तक कि सपा सरकार में मंत्री रहे प्रभुदयाल वाल्मीकि को मंच पर सीट तक नहीं मिली और उन्हें मंच की कुर्सी छोड़कर नीचे आना पड़ा था। इस गठबंधन में रालोद कार्यकर्ताओं ने भी हाथ खींच रखे हैं। कार्यक्रम में इक्का-दुक्का रालोद चेहरों को छोड़कर आम कार्यकर्ता नहीं दिखाई दिए। यदि यही हालात रहे तो बसपा प्रत्याशी को बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है।

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