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पर्याप्त तापमान पर मांस पकाने – दूध उबालने से एच1एन1 की आशंका होगी खत्म

- यूएस के मवेशियों और दूध में एवियन इन्फ्लूएंजा वायरस मिलने से बढ़ी चिंता

नई दिल्ली, 29 अप्रैल (टॉप स्टोरी न्यूज़ नेटवर्क): साल में दो बार लोगों को अपनी गिरफ्त में लेने वाले एच1एन1 फ्लू या स्वाइन फ्लू के संभावित संक्रमण के मद्देनजर केंद्र सरकार ने लोगों से सतर्क रहने की अपील है। दरअसल, यह एक मौसमी इन्फ्लूएंजा है जो भारत को दो चरणों में, जनवरी से मार्च के बीच और मानसून के बाद प्रभावित करता है। दूसरे चरण में संभावित संक्रमण को लेकर सरकार ने दिशा -निर्देश जारी किए हैं।

दरअसल, संयुक्त राज्य अमेरिका के विभिन्न राज्यों में मवेशियों और उनके दूध में एवियन इन्फ्लूएंजा वायरस का पता लगने के बाद भारत के स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक ने मौसमी इन्फ्लूएंजा की वर्तमान स्थिति की समीक्षा के लिए रविवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये एक बैठक का आयोजन किया। इस दौरान आईसीएमआर, आईसीएमआर-एनआईवी पुणे, सीएसयू आईडीएसपी के विशेषज्ञों ने बताया कि दूध को उबालकर और मांस को पर्याप्त तापमान पर पका कर इस्तेमाल करने से लोगों में वायरस के संचरण को रोका जा सकता है।

इस बैठक में स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को रोगियों के वर्गीकरण, उपचार प्रोटोकॉल और वेंटिलेटर के इंतजाम करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही राज्य सरकारों को एच1एन1 मामलों से निपटने वाले स्वास्थ्य देखभाल कर्मियों के टीकाकरण के लिए भी सलाह दी है। डीजीएचएस ने कहा, फिलहाल स्थिति नियंत्रण में है और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा मौसमी और एवियन इन्फ्लूएंजा वायरस पर भी निगरानी रखी जा रही है।

स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक मौसमी इन्फ्लूएंजा एक तीव्र श्वसन संक्रमण है जो इन्फ्लूएंजा वायरस के कारण होता है और दुनिया के सभी हिस्सों में फैलता है। साल 2009 में एच1एन1 का पहला मामला सामने आने के बाद से, हर साल भारत इस मौसमी इन्फ्लूएंजा के संक्रमण से प्रभावित होता है। फिलहाल देश के किसी भी हिस्से में मौसमी फ्लू के मामलों में कोई असामान्य चिंताजनक वृद्धि नहीं हुई है। हालांकि, एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम नेटवर्क के माध्यम से विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में मौसमी इन्फ्लूएंजा की स्थिति पर कड़ी नजर रखी जा रही है।

क्या है एच1एन1
एच1एन1 वायरस, इन्फ्लूएंजा ए वायरस का एक सब वैरिएंट है। यह नाक गले और फेफड़े में संक्रमण का कारण बनता है, जिसकी शुरुआत खांसी, जुकाम और हल्के बुखार के साथ होती है। इन्फ्लूएंजा वायरस हमारे शरीर में नाक, आंख और मुंह से प्रवेश करता है। यानी जब एच1एन1 से संक्रमित व्यक्ति खांसता, छींकता या बात करता है तो उसके मुंह से निकलने वाली नन्ही -नन्ही तरल बूंदों में मौजूद वायरस हवा में फैल जाते हैं और उनके संपर्क में आने वाला व्यक्ति इंफ्लूएंजा से संक्रमित हो जाता है।

अधिकांश संक्रमित स्वयं हो जाते हैं ठीक
इन्फ्लूएंजा संक्रमण के अधिकांश मामलों में व्यक्ति स्वयं या साधारण उपचार से ही ठीक हो जाता है। कुछ मामलों में, विशेष रूप से छोटे बच्चे, वृद्ध लोग, मोटापे और अन्य सह-रुग्णताओं वाले लोग (जैसे क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज, मधुमेह, हृदय रोग, क्रोनिक रीनल और लीवर रोग आदि) और गर्भवती महिलाएं गंभीर रूप से संक्रमित हो सकते हैं, जिसके लिए अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता हो सकती है।

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