– एक सीट से कभी दोबारा चुनाव नहीं लड़े राजनाथ सिंह
– पार्टी और संघ के सर्वेक्षण से डरी भाजपा जोखिम उठाने के मूड में नहीं
सुबोध कुमार,नोएडा। सियासत के मैदान में हाफ सेंचुरी लगाने वाले भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज नेता राजनाथ सिंह के गौतमबुद्ध नगर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने की अटकलें तेज हो गई हैं। इस सीट से फिलहाल केंद्रीय मंत्री डॉ. महेश शर्मा सांसद हैं, और उनकी भी पार्टी पर पकड़ मजबूत मानी जाती है। लेकिन, इस बात की चर्चा तेज है कि राजनाथ सिंह को यहां से टिकट देकर डॉ. महेश शर्मा को राजस्थान के अलवर भेजा जा सकता है। जानकार बताते सत्ता विरोधी लहर से पार पाने के लिए पार्टी मौजूदा संसद सदस्यों की जगह नए प्रत्याशी उतारने के अपने फार्मूले पर काम कर रही है।
जानकार बताते हैं कि पार्टी के नेतृत्व और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) की स्थानीय शाखा की ओर से मतदाताओं का रुख जानने के लिए गौतमबुद्ध नगर में एक सर्वेक्षण किया गया था। उसमें गौतमबद्ध नगर लोकसभा सीट के ग्रामीण इलाके के लोगों में पार्टी और मौजूदा सांसद डॉ. महेश शर्मा के खिलाफ काफी गुस्सा उजागर हुआ था। आंकड़े इस बात की गवाही देते हैं कि इस सीट के कुल मतदाताओं में लगभग 45 फीसदी ग्रामीण इलाके से आते हैं। गौतमबुद्ध नगर लोकसभा सीट के तहत पांच विधानसभा क्षेत्र आते हैं। इनमें नोएडा विधानसभा सीट को ही पूरी तरह से शहरी कहा जा सकता है। शेष विधानसभाओं में दादरी, जेवर, सिकंदराबाद और खुर्जा आते हैं। इन सीटों पर ज्यादातर आबादी ग्रामीण क्षेत्रों की ही है। मौजूदा चुनाव में 22 लाख से अधिक मतदाता उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला करेंगे। इनमें लगभग 14 लाख मतदाता ग्रामीण क्षेत्रों के हैं। सूत्र बताते हैं कि ऐसे हालात में पार्टी सीटिंग एमपी को टिकट देकर कोई रिस्क लेने के मूड में नहीं है। इसीलिए वह इस सीट से मौजूदा सांसद डॉ. महेश शर्मा को राजस्थान के अलवर भेजकर यहां केंद्रीय गृहमंत्री और पार्टी के दिग्गज नेता राजनाथ सिंह के चुनाव लड़ाना चाहती है।
यद्यपि राजनाथ सिंह का सियासी जीवन बहुत लंबा और शानदार है। 70 के दशक से ही संघ से जुड़े रहने के कारण उन्हें संघ का करीबी माना जाता है। वर्ष-1977 में वह मिजार्पुर से पहली बार सांसद चुने गए। उसके बाद 1988 में वह उत्तर प्रदेश की विधान परिषद के सद्स्य चुने गए। 1994 में वह राज्यसभा के सद्स्य बने। वर्ष-2009 में हुए लोकसभा चुनाव में वह पश्चिमी उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद क्षेत्र से सांसद चुने गए और वर्ष-2014 में वह पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सीट लखनऊ से चुनाव लड़े और उन्हें जीत मिली।
राजनाथ सिंह वर्ष-2000 में उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य के मुख्यमंत्री भी रहे। उसके बाद और पहले वह केंद्र में कई मंत्रालयों के साथ ही पार्टी प्रमुख की भी जिम्मेदारी संभाल चुके हैं। बावजूद इसके यहां एक बात कहना उचित ही होगा कि इतने क्षमतावान होने के बावजूद वह किसी एक सीट को अपना नहीं बना पाए। कारण के बाबत पार्टी के जानकार बताते हैं कि पार्टी या सरकार में बड़ी जिम्मेदारी होने के कारण वह अपने संसदीय क्षेत्र में समय नहीं दे पाते हैं। ऐसे में उस क्षेत्र की समस्याओं का निदान न होने से मतदाता नाराज हो जाते हैं। राजनीति के जानकार बताते हैं कि इसी वजह से वह कभी भी एक सीट से दोबारा चुनाव नहीं लड़े।
अब वर्ष-2019 में 17वीं लोकसभा के लिए चुनाव का बिगुल बज चुका है। सभी पार्टियां अपने उम्मीदवार तय करने में लगी हैं। अगर, इस बार गौतमबुद्ध नगर से राजनाथ सिंह को टिकट दिया गया तो निश्चित रूप से लड़ाई दिलचस्प होगी। खासतौर से तब, जब इस सीट पर सपा और बसपा एक साथ मिलकर चुनाव लड़ रही हैं। लेकिन, चुनाव में हर बात के लिए सिर्फ कयास लगाए जाते हैं। अंतिम फैसला तो मतगणना के बाद ही होगा।