नई दिल्ली, 04 अगस्त (TSN)। दिल्ली सरकार ने जनता से पैसा लेकर टैक्स जमा नहीं करने वाली कंपनियों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। इस दिशा में उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने जीएसटी विभाग के साथ मंगलवार को बैठक कर टैक्स जमा करने की स्थिति का विश्लेषण किया। जनवरी से मार्च 2020-21 के बीच कुल 10800 कंपनियों ने कम या शून्य टैक्स जमा किया है। इनमें से 970 कंपनियां ऐसी भी हैं जिन्होंने कोई भी टैक्स जमा नहीं किया।
सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली सरकार डिफाॅल्टर कंपनियों की लिस्ट तैयार कर चुकी है और सभी को जीएसटी एक्ट के सेक्शन 3ए के तहत नोटिस भेज कर 15 दिन के अंदर टैक्स जमा करने का निर्देश दे रही है। इसके अलावा दिल्ली में जीएसटी एक्ट के तहत पंजीकृत सात लाख कंपनियों के डाटा का भी अध्ययन किया जा रहा है। अगर, उनके टैक्स जमा में गड़बड़ी मिली तो उन कंपनियों के खिलाफ भी कार्रवाई होगी। उपमुख्यमंत्री ने सभी कंपनियों से जल्द से जल्द बकाया टैक्स जमा करने की अपील की है। उन्होंने कहा कि कंपनियां पैसा जमा नहीं करती हैं, तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। यह पैसा जनता का है, जिसे जनता के हित में लगाना है।
जनवरी से मार्च तक मिला मात्र 3777 करोड़ टैक्स
उपमुख्यमंत्री सिसोदिया ने आज जीएसटी विभाग के अधिकारियों के साथ करदाताओं के संबंध में महत्वपूर्ण बैठक की। दिल्ली सरकार सभी करदाताओं का विश्लेषण कर रही है। इस विश्लेषण से पता चला है कि दिल्ली सरकार को जनवरी 2020 से मार्च 2020 तक मात्र 3777 करोड़ रुपये का टैक्स ही मिल पाया है। वहीं, 2019-20 में सरकार को 5792 करोड़ रुपये टैक्स मिला था। पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष 2015 करोड़ रुपये कम टैक्स मिला है। दिल्ली सरकार के विश्लेषण से पता चला है कि दिल्ली में करीब 10800 कंपनियां हैं, जिन्होंने जनवरी से मार्च तक कम या शून्य टैक्स दिया है। इसमें से 970 कंपनियां ऐसी हैं, जिन्होंने बिल्कुल भी टैक्स जमा नहीं किया है। 15 हजार कंपनियों के टैक्स विश्लेषण में यह जानकारी मिली है।
टैक्स जमा न करने वालों पर होगी सख्त कार्रवाई
टैक्स जमा करने के मामले में बड़ी संख्या में कंपनियां डिफाॅल्टर हैं। इन कंपनियों से टैक्स वसूलने को लेकर दिल्ली सरकार सख्त हो गई है। सरकार का कहना है कि कंपनियों ने पब्लिक से टैक्स का पैसा लिया, लेकिन उसे सरकार को नहीं दिया है। दिल्ली सरकार ऐसे डिफाॅल्टर करदाताओं की लिस्ट बना ली है। जीएसटी एक्ट के सेक्शन 3ए के तहत 10800 कंपनियों को नोटिस भेजी जा रही है। करदाताओं को टैक्स जमा करने के लिए 15 दिन की मोहलत दी जाएगी।
111 शराब कंपनियां को भी वैट के तहत भेजा जाएगा नोटिस
सिसोदिया ने टैक्स जमा नहीं कराने वाली कंपनियों से कहा कि यह आम जनता का पैसा है। जिसे कंपनियों ने लोगों से वसूल लिया, लेकिन सरकार को नहीं दिया। इससे कोरोना समेत जनसेवा व जन उपयोग के काम प्रभावित होंगे। अगर, तय समय के अंदर टैक्स जमा नहीं किया जाता है तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। दिल्ली में 111 ऐसी शराब कंपनियां हैं, जिन्होंने जनवरी से मार्च तक के वैट का पैसा नहीं दिया है, इन्हें भी नोटिस भेजे जा रहे हैं।सरकार ऐसी कंपनी की पूरी लिस्ट तैयार कर चुकी है। इन कंपनियों ने टैक्स जमा नहीं किया तो, इनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।
बड़े टर्न ओवर वाली 15000 कंपनियों के रिटर्न्स की हो रही है जांच
दिल्ली राज्य व्यापार और कर विभाग ने पंजीकृत बड़े टर्न ओवर वाले 15000 करदाताओं के रिटर्न फाइलिंग स्थिति का विश्लेषण करना शुरू कर दिया है। विश्लेषण में पाया गया गया है कि केंद्र और राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में शामिल करीब 970 करदाताओं ने 2019-20 और 2020-21 का रिटर्न दाखिल नहीं किया है। कुल 10800 कंपनियां ऐसी हैं, जिन्होंने कम या शून्य टैक्स जमा किया है। इन कंपनियों को टैक्स जमा करने के लिए 31 जुलाई तक समय मिला था, जो अब समाप्त हो चुका है।
एक सप्ताह में डिफॉल्टरों से वसूले 10 करोड़ रुपये
जीएसटी विभाग ने कार्रवाई भी शुरू कर दिया है। पिछले एक सप्ताह में ऐसे डिफॉल्टरों से 10 करोड़ रुपये वसूले गए हैं। वहीं, जीएसटी विभाग ऐसे करदाताओं के टैक्स भुगतान की प्रोफाइल का भी विश्लेषण कर रहा है।
तीन कंपनियों पर कार्रवाई, दफ्तर सील करने से लेकर जुर्माना तक लगाया
इसके अलावा, जिन लोगों से टैक्स लिया सकता है, उनकी भी पहचान की जा रही है। पिछले सप्ताह इनके खिलाफ तीन बड़े सर्च आपरेशन किए गए, जिसमें मार्बल, ग्रेनाइट और थोक करदाता शामिल हैं और उनसे 20.70 लाख रुपये टैक्स जमा कराया गया। एक मामले में कंपनी का दफ्तर सील किया गया है। दूसरे मामले में कंपनी के कागज जब्त किए गए हैं। इसके साथ ही, बिना ई-वे बिल के माल की आवाजाही पर भी कार्रवाई की जा रही है। 23 जुलाई 2020 से प्रभावी कार्रवाई के दौरान 140 वाहनों की जांच की गई और उनसे टैक्स व जुर्माने के रूप में एक करोड़ रुपये की वसूली की गई।
पांच प्रमुख क्षेत्र से हैं अधिकतर डिफॉल्टर
इन पांच प्रमुख डिफॉल्टर में प्रॉपर्टी लीज व किराया क्षेत्र, सेवा क्षेत्र, कंसल्टिंग क्षेत्र, रिटेल क्षेत्र और इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र की कंपनियां शामिल हैं।