ड्रग्स फैक्टरी मामला : मकान सील, आरोपियों से पूछताछ जारी
ड्रग्स फैक्टरी मामला : मकान सील, आरोपियों से पूछताछ जारी
अमर सैनी
नोएडा। ओमीक्रॉन-1 की जिस मकान में ड्रग्स फैक्टरी चल रही थी उसे सील कर दिया गया है। पुलिस पूछताछ में पता चला है कि मकान का किरायानामा गिरफ्तार नाइजीरियाई इमेनुएल की बहन के नाम पर था। उसकी बहन ग्रेनो के निजी विश्वविद्यालय में पढ़ती है। मकान मालिक पुष्पेंद्र ने बताया कि मकान फरवरी में बनकर तैयार हुआ है। पुलिस ने किराये से जुड़े दस्तावेज मांगे थे। जो उपलब्ध करा दिए गए हैं। इनकी गतिविधियों के विषय में जानकारी नहीं थी क्योंकि वह परिवार के साथ दिल्ली में रहते हैं। पुष्पेंद्र कहते हैं कि उन्हें नहीं पता कि मकान कब रिलीज होगा। फिलहाल करीब 39 हजार रुपये इसकी बैंक की ईएमआई जा रही है। उन्होंने कहा कि यह सोचकर किराये पर दिया था कि बैंक की ईएमआई में कुछ राहत मिलेगी। अब स्थिति बेहद जटिल हो गई है। मकान किराये पर देने से पहले उन्होंने मकान में करीब 50 हजार रुपये लगाए थे। अहम है कि इसी मकान में पुलिस ने 150 करोड़ रुपये की ड्रग्स के साथ नाइजीरियाई इफियानी जॉनबॉस्को, चिड़ि, इमेनुएल और ऑन्योकैची को गिरफ्तार किया था।
गली में पसरा सन्नाटा, पड़ोसी खामोश
ऑमिक्रान-1 के मथुरापुर में की ड्रग्स फैक्टरी पर ताला लगा है। आसपास बने मकानों में रहने वाले ड्रग्स मामले के लेकर खामोश हैं। पास में ही डेयरी चलाने वाले बुजुर्ग बाबा कहते हैं पहले ही दो बार यहां पर ड्रग्स वाले पकड़े गए हैं। ताजा गिरफ्तारी के बाद अब कॉलोनी में कोई नाइजीरिया का निवासी नहीं है।
आरोपियों की खंगाली जा रही डिजिटल हिस्ट्री
पुलिस आरोपियों की डिजिटल हिस्ट्री खंगालकर खरीदारों तक पहुंचने की कोशिश में जुटी है। ड्रग्स की सौदेबाजी में क्रिप्टोकरेंसी और डार्क वेब के इस्तेमाल की बात सामने आने के बाद पुलिस आईटी सेल के साथ-साथ डिजिटल विशेषज्ञों की सहायता भी ले रही है। पुलिस आरोपियों के सोशल मीडिया अकाउंट भी खंगाल रही है। अब तक की जांच में सामने आया है कि सोशल मीडिया पर इमेनुएल और चिड़ी से जुड़े ज्यादातर लोग अफ्रीकी मूल के ही हैं।
कोट
ड्रग्स फैक्टरी मामले में पकड़े गए आरोपियों से पूछताछ में सामने आए तथ्यों के आधार पर जानकारी जुटाई जा रही है। आरोपियों के डिजिटल लेनदेन, साइबर गतिविधियां खंगालकर उनके सहयोगियों और खरीदारों तक पहुंचने का प्रयास किया जा रहा है। – अशोक कुमार, एडीसीपी