भारत

अस्वास्थ्यकारी आहार बन रहा 56% रोगों का आधार : डीजीआई

-अच्छी हेल्थ के लिए एयर-फ्राइंग और ग्रेनाइट-कोटेड कुकवेयर का करें इस्तेमाल

-सेहत बनाने के लिए रोजाना प्रोटीन पाउडर न करें इस्तेमाल
नई दिल्ली, 9 मई :अस्वास्थ्यकारी आहार या अनहेल्दी डाइट की वजह से भारत में 56.4 फीसदी लोग बीमार पड़ जाते हैं। ऐसे में दैनिक भोजन की थाली में जरूरी पोषक तत्वों की जरूरतों को पूरा करके रोगों से बचा जा सकता है। यह जानकारी भारतीय चिकित्सा अनुसंधान (आईसीएमआर) नई दिल्ली की ओर से जारी डीजीआई रिपोर्ट में दी गई है। इसमें मोटापा और मधुमेह जैसे रोगों (एनसीडी) को रोकने के लिए 17 आहार दिशानिर्देश जारी किए गए हैं जिनमें कम तेल, चीनी, प्रोटीन सप्लीमेंट से बचने की सलाह शामिल है।

इस रिपोर्ट को राष्ट्रीय पोषण संस्थान (एनआईएन) हैदराबाद की निदेशक डॉ हेमलता आर के नेतृत्व में तैयार किया गया है, जिसका शीर्षक ‘भारतीयों के लिए आहार संबंधी दिशा निर्देश’ या डीजीआई रखा गया है। करीब 13 साल बाद पेश 148 पेज की रिपोर्ट में एनआईएन ने कहा कि स्वस्थ आहार और शारीरिक गतिविधि कोरोनरी हृदय रोग और हाइपरटेंशन के अनुपात को कम कर सकती है और टाइप 2 मधुमेह को 80 फीसदी तक रोक सकती है।

इसमें कहा गया है कि हेल्दी लाइफस्टाइल का पालन करके वक्त से पहले होने वाली मौतों को रोका जा सकता है। दैनिक जीवन में शुगर और फैट से भरे खाने वाली चीजों की खपत में बढ़ोतरी, कम शारीरिक गतिविधि, सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी और अधिक वजन की समस्या और तमाम तरह के खाद्य पदार्थों तक सीमित पहुंच के कारण स्थिति और खराब हो गई है।

एनआईएन ने नमक का सेवन सीमित करने, ऑयल और फैट का कम मात्रा में उपयोग करने, प्रॉपर एक्सरसाइज करने, चीनी और अल्ट्रा-प्रोसेस्ड खाने की चीजों को कम करने की सलाह भी दी है। इसने मोटापे को रोकने के लिए हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाने और फूड लेबल्स पढ़कर जानकारी हासिल करने और स्वस्थ भोजन विकल्प चुनने का भी सुझाव दिया है।

डॉ. हेमलता ने कहा कि सभी तरह के कुपोषण का सबसे तार्किक, टिकाऊ और दीर्घकालिक समाधान तमाम खाद्य पदार्थों की खपत को बढ़ावा देने के साथ पोषक तत्वों से भरपूर खाद्य पदार्थों की उपलब्धता, पहुंच और सामर्थ्य सुनिश्चित किया जाना है। डीजीआई के दिशानिर्देशों में साक्ष्य-आधारित जानकारी और वैज्ञानिक बातें शामिल हैं जो राष्ट्रीय पोषण नीति में बताए गए लक्ष्यों की प्राप्ति को सुविधाजनक बनाएगी।

आईसीएमआर के महानिदेशक डॉ. राजीव बहल ने कहा कि पिछले कुछ दशकों में भारतीयों की आहार संबंधी आदतों में अहम बदलाव आए हैं, जिससे गैर-संचारी रोगों में बढ़ोतरी देखी गई है। जबकि अल्पपोषण की कुछ समस्याएं अभी भी बनी हुई हैं। उन्होंने कहा, डीजीआई के दिशानिर्देश भारत में बदलते खाद्य नजरिए के लिए बहुत प्रासंगिक हैं। इसमें खाद्य सुरक्षा से निपटने के लिए न्यूनतम प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थ चुनने, फूड लेबल्स की अहमियत को समझने और फिजिकल एक्टिविटी पर व्यावहारिक संदेश और सुझाव शामिल हैं। सरकार की ये कोशिशें हमारे लोगों के अच्छे पोषण और स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए हैं।

अनाज पर निर्भरता ज्यादा
एनआईएन के मुताबिक 5-9 साल की उम्र के 34 फीसदी बच्चे हाई ट्राइग्लिसराइड्स से पीड़ित हैं। एक संतुलित आहार में अनाज और बाजरा से 45 फीसदी से ज्यादा कैलोरी और दालों, बीन्स और मांस से 15 फीसदी तक कैलोरी नहीं मिलनी चाहिए। दिशानिर्देशों में कहा गया है कि बाकी कैलोरी नट्स, सब्जियों, फलों और दूध से आनी चाहिए। दालों और मांस की सीमित उपलब्धता और उच्च लागत की वजह से, भारतीय आबादी का एक बड़ा हिस्सा अनाज पर बहुत ज्यादा निर्भर है। इस वजह से लोग जरूरी मैक्रोन्यूट्रिएंट्स (अमीनो एसिड और फैटी एसिड) और सूक्ष्म पोषक तत्वों का सेवन कम कर पाते हैं।

प्रोटीन सप्लीमेंट्स से बचना ही बेहतर है। इनके फायदे जोखिमों के अनुरूप नहीं हैं। प्रोटीन पाउडर अंडे, डेयरी दूध या सोयाबीन, मटर और चावल जैसे स्रोतों से बनाए जाते हैं। एनआईएन ने कहा कि ‘प्रोटीन पाउडर में अतिरिक्त शर्करा, नॉन-कैलोरी स्वीटनर और आर्टिफिशियल फ्लेवर जैसे एडिटिव भी हो सकते हैं। ऐसे में प्रोटीन पाउडर का नियमित इस्तेमाल की सलाह नहीं दी जा सकती।

स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित नहीं प्रोटीन पाउडर
एनआईएन ने कहा कि ब्रांच्ड-चेन एमिनो एसिड से भरपूर प्रोटीन गैर-संचारी रोगों के जोखिम को बढ़ा सकते हैं। ऐसे में हाई लेवल प्रोटीन के तौर पर सप्लीमेंट पाउडर के इस्तेमाल की सलाह नहीं दी जा सकती है। रिसर्च के नतीजे बताते हैं कि स्वस्थ युवाओं में लंबे समय तक रजिस्टेंस एक्सरसाइज ट्रेनिंग (आरईटी) के दौरान डाइट प्रोटीन मांसपेशियों की ताकत और आकार में केवल एक छोटी सी बढ़ोतरी से जुड़े हुए हैं। 1.6 ग्राम/किलोग्राम शरीर के वजन/दिन से अधिक प्रोटीन का सेवन आरईटी से जुड़े फायदे में और योगदान नहीं करता है।

बच्चों को लेकर लेकर रिसर्च में चौंकाने वाले आंकड़े
डॉ. हेमलता आर ने कहा कि बच्चों को लेकर रिसर्च में चौंकाने वाले आंकड़े आए हैं जिसके मुताबिक बच्चों का एक बड़ा हिस्सा खराब पोषण की स्थिति से पीड़ित है। इसके साथ ही, अधिक वजन और मोटापा भी बढ़ रहा है, जिससे कुपोषण का दोहरा बोझ पैदा हो रहा। अनुमान बताते हैं कि भारत में बीमारी को लेकर 56.4 फीसदी अनहेल्थी डाइट ही प्रमुख वजह है। स्वस्थ आहार और शारीरिक गतिविधि कोरोनरी हृदय की बीमारी और हाई ब्लड प्रेशर के अनुपात को कम कर सकती है।

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