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अरबों रुपये के जीएसटी फर्जीवाड़े में दिल्ली का कारोबारी गिरफ्तार

अरबों रुपये के जीएसटी फर्जीवाड़े में दिल्ली का कारोबारी गिरफ्तार

अमर सैनी

नोएडा। सेक्टर-20 पुलिस ने बुधवार को जीएसटी फर्जीवाड़े में गिरोह के सरगना दिल्ली के कारोबारी को गिरफ्तार कर लिया। आरोपी फर्जी तरीके से इनपुट टैक्स क्रेडिट लेकर सरकार को भारी नुकसान पहुंचा रहा था। इस मामले में इससे पहले 32 आरोपी गिरफ्तार हो चुके हैं। कई अन्य आरोपी अब भी पुलिस के रडार पर हैं। इनमें कई कारोबारी हैं।

डीसीपी क्राइम शक्ति मोहन अवस्थी ने बताया कि फर्जी जीएसटी फर्म का दुरुपयोग कर अरबों रुपये के इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) का फ्रॉड करने के आरोप में थाना सेक्टर 20 पुलिस ने दिल्ली के तिलक नगर निवासी तुषार गुप्ता को बुधवार को गिरफ्तार किया। आरोपी को उसके तिलक नगर दिल्ली स्थित कार्यालय से दबोचा गया। तुषार दिल्ली समेत अन्य जगहों पर पैकेजिंग समेत अन्य चीजों का कारोबार करता था। तुषार लंबे समय से वांछित चल रहा था। वह 35 फर्जी कंपनियों और फर्म से 24 करोड़ रुपये का आईटीसी रिफंड गलत तरीके से ले चुका था।

इस संबंध में सेक्टर-20 थाने में एक मुकदमा दर्ज हुआ था, जिसकी जांच के बाद पुलिस ने कार्रवाई की। हालांकि, इस मामले में जीएसटी विभाग भी पहले आरोपी तुषार को गिरफ्तार कर चुकी है। करीब दो महीने तक जेल में रहने के बाद वह बाहर आ गया था। तुषार गुप्ता ने अपने कारोबार की आड़ में 35 फर्जी कंपनियां बनाई थीं। इसी फर्जी जीएसटी फर्मो से फर्जी इन्वॉयस कर अवैध लाभ कमाता था। इस मामले में दो कारोबारियों अजय शर्मा और संजय जिंदल को भी पूर्व गिरफ्तार किया जा चुका है। इन्हीं से पूछताछ के दौरान तुषार का लिंक मिला था।

किसी भी आरोपी को जमानत नहीं मिली

पुलिस ने बीते साल जून में 2600 से अधिक फर्जी कंपनी खोलकर भारत सरकार के राजस्व को अरबों रुपये का नुकसान पहुंचाने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया था। इस मामले में गौरव सिंघल, गुरमीत सिंह, राजीव ,राहुल, विनीता, अश्वनी, अतुल सेंगर, दीपक मुरजानी, यासीन, विशाल, राजीव, जतिन, नंदकिशोर, अमित कुमार ,महेश, प्रीतम शर्मा, राकेश कुमार, अजय कुमार, दिलीप कुमार, मनन सिंघल, पीयूष, अतुल गुप्ता, सुमित गर्ग, कुणाल समेत 32 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। खास बात यह है अब तक किसी भी आरोपी को भी जमानत नहीं मिली है। नोएडा पुलिस की मजबूती पैरवी के कारण आरोपी लंबे समय से सलाखों के पीछे ही हैं। अन्य फरार आरोपियों की तलाश में नोएडा पुलिस की तीन टीमें कई संभावित ठिकानों पर दबिश दे रही हैं।

ऐसे करते थे ठगी:

आरोपी देश के विभिन्न जगहों पर रहने वाले लाखों लोगों के पैन और आधार कार्ड का डाटा हासिल करने के बाद फर्जी कंपनी और फर्म खोलते थे। इस कंपनियों और फर्मों का अस्तित्व महज कागजों पर होता था। धरातल पर कोई भी कंपनी नहीं होती थी। इसके बाद आरोपी जीएसटी नंबर लेकर फर्जी बिल बनाकर जीएसटी रिफंड प्राप्त कर सरकार को करोड़ों का नुकसान पहुंचाते थे। जांच में यह पता चला है कि जालसाज फर्जी कंपनियों को जीएसटी नंबर के साथ ऑन डिमांड बेच भी देते थे। इन कंपनियों के नाम पर पैसे जमा कर काले धन को सफेद करने का भी काम भी व्यापक स्तर पर होता था। इस फर्जीवाड़े में शामिल कई आरोपियों की चल और अचल संपत्ति को कुर्क भी किया जा चुका है।

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