मेरठ के कसेरूखेड़ा के कारीगर बनाते हैं रावण का अनोखा पुतला

-70 फुट लंबा बनाया जा रहा है इस बार रावण का पुतला

मेरठ, (शिव कुमार शर्मा)। विजयदशमी का पर्व पूरे भारतवर्ष में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन रावण, कुंभकरण और मेघनाथ के पुतलों का दहन किया जाता है। इन पुतलों को बनाने का कार्य दशहरे से लगभग पन्द्रह दिन पहले शुरू हो जाता है। मवाना रोड स्थित कसेरूखेड़ा में भी हर वर्ष विशालकाय रावण के पुतले का निर्माण स्थानीय कारीगरों के द्वारा ही तैयार किया जाता है।

कसेरूखेड़ा के स्थानीय नागरिक रिटायर्ड फौजी कन्हैया लाल अपने साथियों के साथ दिन- रात एक करके विशालकाय एवं बहुत ही सुंदर मुखड़े वाला रावण का पुतला तैयार करते हैं ।कन्हैया लाल के साथ मुख्य रूप से सत्य प्रकाश, अरुण कुमार, गोल्डी, नंदकिशोर मीणा, जयप्रकाश आदि एक टीम वर्क के साथ पुतले का निर्माण करते हैं।

इन कारीगरों के द्वारा जो पुतला बनाया जाता है उसका मुखड़ा देखने लायक होता है बड़ी बड़ी आंखें ,लंबी मूछें व कानों में बड़े-बड़े सुनहरे कुंडल रावण के मुखड़े की शोभा बढ़ाते हैं। कन्हैया लाल फौजी का कहना है कि कसेरू खेड़ा मेले के लिए जो रावण तैयार किया जाता है, वह निशुल्क बनाया जाता है। हम सब कारीगर श्री रामलीला दशहरा कमेटी के सदस्य हैं।

श्री रामलीला दशहरा कमेटी के सदस्यों अरुण, गोल्डी एवं जयप्रकाश ने बताया कि रावण के पुतले की खासियत है कि इसकी आंखें कई किलोमीटर दूर से देखी जा सकती हैं और पूरे मेरठ में केवल कसेरू खेड़ा में ही रावण की गर्दन चारों दिशाओं में घूमती दिखाई देगी। सत्य प्रकाश ने बताया रावण के पुतले की गर्दन को घुमाने के लिए कई प्रकार की तकनीक का सहारा लिया जाता है एवं रावण के मुखड़े का मुकुट भी स्थानीय कारीगरों के द्वारा एंवम कस्बे की महिलाओं के द्वारा ही तैयार किया जाता है।

श्री रामलीला दशहरा कमेटी के अध्यक्ष विनोद सोनकर ने अपनी कमेटी के सदस्य कारीगरों की प्रशंसा करते हुए बताया कि हमारे सदस्य कारीगरों के द्वारा इस बार का जो पुतला बनाया गया है उसकी पैर की जयपुर जूतियां, दहकती आंखें घूमती गर्दन, और रौबदार चेहरा दर्शकों के आकर्षण का केंद्र रहेगा। विनोद सोनकर ने बताया कि हमारे सदस्य कारीगर पुतला बनाने में तन मन और धन से योगदान करते हैं इसीलिए हमारे कसेरूखेड़ा का पुतला अन्य पुतलों से अधिक विशेषताओं वाला होता है ।

Comments are closed.