“मृत्यु एक शाश्वत सत्य” विषय पर गोष्ठी संपन्न

- मृत्यु जर्जर मकान से नए मकान में प्रवेश का नाम है : साध्वी रमा चावला

नई दिल्ली। केन्द्रीय आर्य युवक परिषद (KAYP) के तत्वावधान में “मृत्यु एक शाश्वत सत्य” विषय पर ऑनलाइन गोष्ठी का आयोजन किया गया। KAYP के मुताबिक यह करोना काल से 520 वाँ वेबिनार था। इस दौरान वैदिक विदुषी साध्वी रमा चावला ने कहा कि मृत्यु परमात्मा का अटल नियम है। सत्य तो यह है कि मृत्यु से जीवन का सूत्र टूटता नहीं है, केवल रूप बदलता है। मृत्यु अनेक दुखों से छूट जाने का मार्ग है। शमशान भूमि हमें जीवन का मूल्य बताती है और परमात्मा जीवात्मा की याद दिलाती है।

उन्होंने आगे कहा, मृत्यु को गुरु माना गया है क्योंकि मृत्यु के भय से भगवान के प्रति प्रीति बढ़ती है। मृत्यु के समय स्मरण से मनुष्य परमात्मा के निकट आता है। मृत्यु का चिंतन मानव को पाप, अपराध, अधर्म और बुराइयों आदि से बचाकर सन्मार्ग तथा प्रभु भक्ति की ओर ले जाता है।

उन्होंने कहा, मृत्यु की उपमा पुराने मकान, जर्जर कपड़े तथा सांप की केंचुली से दी गई है। अच्छी मृत्यु फसल के समान मानी गई है। जब फसल पक जाती है तो काट ली जाती है। पूर्ण आयु भोगने के बाद मृत्यु सुखद मानी जाती है। जैसे अगरबत्ती जल जाती है परंतु पीछे सुगंध छोड़ जाती है। ऐसे ही मनुष्य मृत्यु के बाद अपने कर्मों की सुगंध संसार में छोड़ जाते हैं। उन्हीं का जन्म और उन्हीं की मृत्यु सार्थक कहलाती है। अतः परमात्मा को मृत्यु से पूर्व रक्षक बना लें, फिर मृत्यु भयभीत नहीं करेगी।

वैदिक विदुषी ने आगे कहा, संसार चली चला का मेला है। यहां सब बिछड़ते बारी-बारी से हैं। ना जाने कब जाना पड़े। अत: बढ़ती हुई उम्र के साथ – साथ मृत्यु की सोच और तैयारी करनी चाहिए। वहीं, मुख्य अतिथि रजनी गर्ग व अध्यक्ष राज सरदाना ने मृत्यु को वरदान की संज्ञा दी। केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के अध्यक्ष अनिल आर्य ने गोष्ठी का संचालन किया एवं धन्यवाद ज्ञापन किया।

राष्ट्रीय मंत्री प्रवीण आर्य ने 45 वर्षीय मौसेरे भाई स्व. गगन खुराना के निधन पर श्रद्धा सुमन अर्पित किए और परमपिता परमात्मा से दिवंगत आत्मा की शांति हेतु प्रार्थना की। इस अवसर पर गायिका पिंकी आर्या, प्रवीना ठक्कर, रवीन्द्र गुप्ता, कुसुम भण्डारी, कृष्णा पाहुजा, कमला हंस,अनिता रेलन, कौशल्या अरोड़ा, जनक अरोड़ा आदि के मधुर भजन भी हुए।

Comments are closed.