गृह जिले इटावा में हिंदुवादियों के चहेते बने हैं डा. कठेरिया 

आरएसएस के प्रचारक के तौर पर भी काम कर चुके हैं भाजपा प्रत्याशी

दिनेश शाक्य 

इटावा। इटावा संसदीय सीट से भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार घोषित किये गये एससीएसटी आयोग के अध्यक्ष डा. रामशंकर कठेरिया की छवि अपने गृह जिले इटावा मे हिंदुवादी नेता के तौर पर बनी हुई नजर आती है। असल में आरएसएस की मुख्यधारा से तालुल्क रखने वाले डा. रामशंकर कठेरिया मूलरूप से इटावा जिले के भर्थना इलाके के सरावां गांव के रहने वाले हैं। कठेरिया अपने प्रारंभिक दिनों में आरएसएस के प्रचारक के तौर पर भी काम कर चुके हैं। 

साल 2014 में जब केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में सरकार काबिज हुई थी, उसके बाद से कठेरिया की इटावा की ओर आवाजाही कुछ ज्यादा हो गई। उन्होंने अपने गांव सरावां को केंद्र बिंदु बनाते हुए वहां पर स्कूल आदि का निर्माण कराया। 30 सिंतबर 2017 में इटावा में हिंदुवादी नेता प्रदीप शर्मा की अगुवाई में निकाली जाने वाले श्रीराम शोभायात्रा का विवाद गहराने के बाद कठेरिया के सख्त रूख ने उनकी छवि को बहुत ही प्रभावी कर दिया। असल में डा. कठेरिया को तब इटावा के मामले में दखलंदाजी करनी पड़ी, जब उनके मुख्य अतिथि वाली श्रीराम शोभायात्रा की अनुमति भाजपा के स्थानीय प्रमुख पदाधिकारियों ने प्रशासनिक अफसरों से मिल कर ना केवल रद्द करवा दी, बल्कि श्रीराम शोभायात्रा के आयोजक हिंदु सेवा समिति के अध्यक्ष प्रदीप शर्मा को शांति भंग की आंशका के आरोप में जेल भी भिजवा दिया। लेकिन, जब डा. कठेरिया ने इस यात्रा को प्रशासन से सवाल खडेÞ किये तो प्रशासनिक अफसर बगले झांकने लगे। आनन फानन में रात आठ बजे इस यात्रा को पुलिस रिपोर्ट के आधार पर अनुमति दे दी गई। विजयदशमी की पूर्व संध्या पर श्रीराम विजय यात्रा को प्रशासन ने अनुमति दे दी। 

जिला प्रशासन के ना चाहते हुए भी इटावा में हिंदू सेवा समिति के तत्वावधान में श्रीराम शोभायात्रा का आयोजन संपन्न हुआ। इस यात्रा पर सवाल इसलिए और खड़े हुए क्योंकि इस यात्रा के संयोजक हिंदू सेवा समिति के अध्यक्ष प्रदीप शर्मा को भारतीय जनता पार्टी की जिला इकाई के अध्यक्ष शिव महेश दुबे से कथित तौर पर हुए विवाद के बाद प्रशासनिक स्तर पर गिरफ्तार करवा के जेल भिजवा दिया गया। प्रदीप शर्मा की गिरफ्तारी के बाद जिलेभर में हिंदूवादी संगठनों में भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। यह मोर्चेबंदी यात्रा शुरू होने तक बदस्तूर जारी रही। यात्रा शुरू करने को लेकर भारतीय जनता पार्टी के जिला अध्यक्ष शिव महेश दुबे से कथित तौर पर हुए विवाद के बाद हिंदू सेवा समिति के अध्यक्ष प्रदीप शर्मा के जेल जाने के बाद यह यात्रा आरंभ होने से पहले चर्चा के केंद्र में आ गई। इस यात्रा के शुरू किए जाने को लेकर चर्चाएं तब व्यापक तौर पर शुरू हो गईं। क्योंकि इस यात्रा को हरी झंडी दिखाने के लिए अनुसूचित जाति जनजाति आयोग के अध्यक्ष डाक्टर रामशंकर कठेरिया खुद आने वाले थे, लेकिन भारतीय जनता पार्टी के नेताओं की ओर से यह बात प्रचारित करना शुरू कर दी गई कि डाक्टर कठेरिया इस यात्रा में शामिल होने के लिए नहीं आ रहे हैं। क्योंकि यह यात्रा भारतीय जनता पार्टी के तत्वावधान में नहीं निकाली जा रही है। इसलिए इस यात्रा का डाक्टर कठेरिया या फिर भारतीय जनता पार्टी के नेताओं से कोई लेना देना नहीं है। लेकिन इन सबके बावजूद डाक्टर कठेरिया ने इटावा में आकर के जिला प्रशासन के अफसरों को आड़े हाथों लिया और यात्रा शुरू करने को लेकर प्रशासनिक अड़चनों पर सवाल भी खड़ा किया। डा. कठेरिया के सख्त लहजे से सकते में आये जिला प्रशासन ने आनन फानन में शोभायात्रा को अनुमति देकर पल्ला छुड़ाने की कोशिश की।  

श्रीराम शोभायात्रा में मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल हुए राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष डा. रामशंकर कठेरिया ने कहा था कि हिन्दू सेवा समिति के प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप शर्मा के अथक प्रयास से विजय दशहरा पर जिस तरह श्रीराम विजय यात्रा को एक पारंपरिक आयोजन का रूप दिया गया है, उसे ही प्रशासन द्वारा जेल में डालना दुर्भाग्य पूर्ण है। एक महीने से लम्बित प्रार्थना पत्र पर अनुमति देना अथवा निरस्त करने का निर्णय कर प्रशासन ने अपनी किंकर्तव्यविमूढ़ता प्रदर्षित की और आयोजन के सिर्फ 16 घण्टे पहले अनुमति दिया जाना आखिर क्या संकेत देता है? 

इस शोभायात्रा मे आमंत्रित तो भाजपा के सभी नेताओं को किया गया था, लेकिन डा. कठेरिया के अलावा मुख्य रूप से भर्थना की एमएलए सावित्री कठेरिया और मनीष यादव पतरे शामिल हुए थे। अन्य ने इस यात्रा में शामिल होने से इसलिए परहेज किया था क्योंकि भाजपा कठेरिया को तरजीह नहीं देना चाहती थी। इस यात्रा ने जहां प्रदीप शर्मा की ताकत को हिंदुवादी नेता के तौर पर और बढ़ाया। वहीं, दूसरी ओर डा. कठेरिया की भी छवि में चार चांद लगा दिये। इसके बाद आये नगर निगम के चुनाव जहां हिंदू सेवा समिति के बैनर तले प्रदीप शर्मा ने अपनी पत्नी को अध्यक्ष पद के लिए चुनाव मैदान में उतार दिया। वहीं भाजपा की ओर से महामंत्री अन्नू गुप्ता की पत्नी को उतारा गया, लेकिन प्रदीप शर्मा की संघर्षपूर्ण लड़ाई ने भाजपा को यह सीट हरवा दी और समाजवादी पार्टी ने इस सीट पर अपना कब्जा बरकरार रखा। अब डा. रामशंकर कठेरिया को इटावा संसदीय सीट से भाजपा उम्मीदवार घोषित कर दिया गया है। ऐसे में जाहिर है कि उनकी हिंदुवादी छवि निश्चित तौर पर भाजपा को एक बार फिर से मजबूती प्रदान कर सकती है।

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