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सर्जरी के बीच जैव नमूने की जांच कराने ड्रोन हुआ रवाना, 36 मिनट में किया आना- जाना

-आईसीएमआर की ड्रोन सेवा से सुदूरवर्ती क्षेत्रों में लोगों को मिल रहा उन्नत और तुरंत उपचार

संतोष सूर्यवंशी

नई दिल्ली,10 अप्रैल (टॉप स्टोरी न्यूज नेटवर्क ): भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) की ड्रोन सेवा ने एक बार फिर चिकित्सा के क्षेत्र में नया आयाम स्थापित किया है। दरअसल, केंद्र सरकार सुदूरवर्ती इलाकों में स्थित अस्पतालों में अत्याधुनिक चिकित्सा सुविधाओं की कमी के मद्देनजर ड्रोन सेवा के माध्यम से जीवन रक्षक दवाओं और रक्त की आपूर्ति सुविधाएं उपलब्ध कराती है, लेकिन आज देश में पहली बार सर्जरी के दरम्यान किसी मरीज के जैविक नमूनों की पैथोलॉजिकल जांच कराने के लिए ड्रोन की सेवा ली गई।

यह जानकारी आईसीएमआर के ड्रोन प्रोजेक्ट के इंचार्ज डॉ सुमित अग्रवाल ने बुधवार को दी। उन्होंने बताया कि कर्नाटक के पेरिफेरल इलाके करकला स्थित अस्पताल में एक मरीज की सर्जरी के दौरान डॉक्टरों ने उसके पेट में एक ट्यूमर पाया जो अक्सर कैंसर के चलते उत्पन्न होता है। जो आगे चलकर मरीज की जान के लिए खतरा बन सकता था, लेकिन कैंसर के ट्यूमर की जांच की सुविधा अस्पताल में उपलब्ध नहीं थी।

लिहाजा, डॉक्टरों ने सबसे नजदीकी लैब से जांच कराने का फैसला किया, जो 60 किमी दूर थी। सर्जरी के बीच ही ट्यूमर के जैविक नमूने के साथ ड्रोन को मणिपाल स्थित कस्तूरबा मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के लिए रवाना किया गया। ड्रोन ने 60 किमी की दूरी महज 16 मिनट में पूरी की और केएमसी को नमूने सौंप दिए। वहां तेजी से जांच रिपोर्ट तैयार की गई और इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से डॉक्टरों को भेज दी गई जिससे डॉक्टरों को समय पर फैसला लेने में मदद मिल सकी।

डॉ सुमित अग्रवाल ने कहा, हालांकि केएमसी से प्राप्त मेडिकल जांच रिपोर्ट में कैंसर की पुष्टि नहीं हुई लेकिन ऐसी परिस्थिति में मरीज के जीवन की रक्षा के लिए यह एक सराहनीय प्रयास था। उक्त मरीज पेंडिसियल म्यूकोसील्स से पीड़ित था जिससे निजात दिलाने के लिए सर्जरी (सुबह 10:15 से 10:55 तक) की गई। यानी 40 मिनट की अवधि में ट्यूमर की जांच से लेकर ड्रोन का आने-जाने और सर्जरी की प्रक्रिया को अंजाम दिया गया।

डॉ अग्रवाल ने कहा, अगर सर्जरी के दौरान ट्यूमर की जांच नहीं कराई जाती और वह कैंसर होता तो मरीज को सर्जरी की प्रक्रिया और अन्य कॉम्प्लीकेशन्स से दोबारा गुजरना पड़ता। उन्होंने कहा यह एक ट्रायल था जो सफल रहा। इसका लाभ देश के दूर दराज इलाकों में बेहतरीन चिकित्सा सुविधाओं से वंचित लोगों को आसानी से मिल सकेगा।

क्या है अपेंडिसियल म्यूकोसील्स
म्यूकोसेल्स अपेंडिक्स की वॉल की सूजन से होने वाली सूजन या थैली हैं, जो आमतौर पर बलगम से भरी होती हैं। अगर उपचार के बिना सूजन जारी रहती है, तो अपेंडिक्स फट सकता है जिससे पेट में मवाद से भरा संक्रमण (एब्सेस) हो सकता है। इस बीमारी के पीछे आंत में मल के छोटे, कठोर टुकड़े (फेकेलिथ) या अन्य बाहरी पदार्थ जमा होने, ट्यूमर होने और कीड़े होने जैसे कारण होते हैं।

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