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अस्पताल का भवन बनाने में ताक पर नियम: कुमारी सैलजा

पंचकूला सेक्टर-6 में 11 मंजिला जनरल अस्पताल की बिल्डिंग बनाने का मामला

 

चंडीगढ़, 24 अप्रैल(कोमल रमोला )अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव, हरियाणा कांग्रेस की पूर्व प्रदेशाध्यक्ष, उत्तराखंड की प्रभारी, पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं कांग्रेस कार्यसमिति की सदस्य कुमारी सैलजा ने कहा कि घोटालों की भाजपा सरकार में एक और ताजा घोटाला सामने आया है। यह मामला पंचकूला सेक्टर-6 में 11 मंजिला जनरल अस्पताल की बिल्डिंग बनाने के दौरान खामियां छोडने का है। इस बिल्डिंग निर्माण का बजट 47 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 113 करोड़ कर दिया गया, लेकिन बिल्डिंग में उस तरह के इंतजाम ही नहीं किए गए, जो अस्पताल में होने चाहिए। अब सरकार को बिल्डिंग का स्पेशल ऑडिट कराने के बाद ही ठेकेदार को भुगतान किया जाना चाहिए।

मीडिया को जारी बयान में कुमारी सैलजा ने कहा कि साल 2014 के बाद से प्रदेश में समय-समय पर नए-नए घोटाले सामने आ रहे हैं। हर बार घोटाले को अंजाम देने का तरीका भी बदल लिया जाता है। कोई विभाग ऐसा नहीं बचा है, जिसमें सत्ता के आशीर्वाद के कारण कोई बड़ा खेल न खेला गया है। एक भी घोटालेबाज को आज तक सजा नहीं हुई, जिससे साफ है कि घोटाले के बाद नीचे से ऊपर तक हिस्से बंटते रहे हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि बिल्डिंग का हैंडओवर लेने से पहले डॉक्टरों की टीम ने दौरा किया तो उनकी आंखें खुली की खुली रह गई। डॉक्टरों के कमरों, कॉंफ्रेंस हॉल, मरीजों के वार्ड के अंदर सीवरेज की पाइप ओपन ही डाल दी है। कुछ फ्लोर पर एसी डक्ट भी ओपन ही इंस्टॉल की गई है। जब टीम ने पीडब्ल्यूडी अफसरों के सामने इन्हें कवर करने की बात कही तो उन्हें बताया गया कि बिल्डिंग में फॉल सिलिंग का प्रावधान ही नहीं है। ऐसे में 11 मंजिला बिल्डिंग में जब भी सीवरेज का पाइप लीक होगा या एसी डक्ट कहीं से टपकेगी तो कमरों में बैठना भी दूभर हो जाएगा।

कुमारी सैलजा ने कहा कि कमीशनखोरी के लिए अस्पताल की बिल्डिंग की लागत को 47 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 82 करोड़ किया गया। फिर इसे 93 करोड़ और बाद में 113 करोड़ कर दिया गया। इससे साफ है कि बिल्डिंग में अस्पताल के मुताबिक सुविधाएं उपलब्ध कराने से अधिक ध्यान बजट के बढ़ाने की तरफ ही रहा। अन्यथा, थर्ड फ्लोर पर बनाए जा रहे 06 ऑपरेशन थियेटर में से सिर्फ 01 को ही मॉड्यूलर न बनाया जाता। समय की जरूरत के मुताबिक सभी 06 ओटी को मॉड्यूलर बनाया जा सकता था। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि प्रस्तावित ओपीडी, लैब या सैंपल कलेक्शन सेंटर्स पर हाथ धोने तक की सुविधा नहीं दी गई है। जबकि, डॉक्टर्स से लेकर पैरा मेडिकल स्टाफ या ब्लड सैंपल लेने वाले एलटी, यहां तक की मरीजों को हाथ धोने की जरूरत पड़ जाती है। अस्पताल में हैंड वॉश का इंतजाम न करना दर्शाता है कि जानबूझकर निर्माण के दौरान इन सब कमियों को छोड़ा गया है, ताकि फिर से बजट बढ़वा कर सरकारी धन की बंदरबांट की जा सके।

 

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