आजादी के 72 साल बाद भी नहीं मिली बुनियादी सुविधाएं
स्वास्थ्य, शिक्षा, पेयजल, सड़क और परिवहन से महरूम हैं 20 लोग
आजमगढ़। पूर्वांचल के मशहूर जिलों में शुमार आजमगढ़ जिला अपने परिचय का मोहताज नहीं है। यहां की प्रतिभाओं ने पूरी दुनिया में आजमगढ़ का परिचय कराया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के संसदीय क्षेत्र गोरखपुर के बीच में बसे आजमगढ़ जिले का एक ऐसा इलाका है, जो आजादी के 72 साल बाद भी विकास की ओर टकटकी लगाए बैठा है। इस जिले से ही राम नरेश यादव और सांसद मुलायम सिंह यादव उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। बावजूद इसके जिले के कई हिस्सों में विकास की किरणें नहीं पहुंचीं। मसलन, इस इलाके के लोग स्वास्थ्य, शिक्षा, पेयजल, सड़क और परिवहन जैसी बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं।
आजमगढ़ जिले के सगड़ी तहसील के थाना शिवपुर क्षेत्र के जजमनजोत गांव की कहानी सरकारों और जनप्रतिनिधियों की नाकाम की जीता जागता सबूत है। इस गांव के आसपास दर्जनों और भी गांव हैं। वहां की आबादी लगभग 20 हजार है। आजादी के 72 साल भी इस इलाके के गांवों तक जाने के लिए कोई रास्ता नहीं है। शिक्षा और चिकित्सा सुविधाएं भी नहीं हैं। इस गांव से लगभग 14 किलोमीटर की दूरी पर महाराजगंज कस्बा है। वहां से एक रास्ता जजमनजोत तक आता है, लेकिन यह रास्ता सहदेवगंज बंधे पर खत्म हो जाता है। इस बंधे पर आज तक कोई ऐसा रास्ता नहीं बना, जिससे लोगों को आवगमन में सुविधा हो सके।
जजमनजोत गांव के रहने वाले कमला प्रसाद यादव कहते हैं कि जब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री राम नरेश यादव थे, तब एक सड़क सहदेवगंज से शंकरपुर बाजार तक बनाई गई थी। लेकिन, वह उसी साल बारिश में बह गई। उसके बाद से अब तक किसी ने उस रास्ते को ठीक कराने की जहमत नहीं उठाई। तब से लेकर अब तक कई सरकारें बदलीं। कई जनप्रतिनिधि भी बदले, लेकिन उस इलाके के लोगों की किसी ने नहीं सुनीं। कमला प्रसाद यादव कहते हैं कि इन गांवों तक जाने के लिए सड़क निर्माण की बात विधायक वसीम अहमद, नफीस अहमद और मुलायम सिंह यादव के भतीजे धर्मेंद्र यादव की। लेकिन, किसी ने इस ओर गौर नहीं किया।
इस इलाके के एक दर्जन गांवों की लगभग 20 हजार आबादी के लिए कोई चिकित्सा सुविधा भी नहीं है। काफी पहले शंकर बाजार में एक सरकारी अस्पताल था, लेकिन अब उसका कुछ अता-पता नहीं है। शिक्षा सुविधाओं से भी यह इलाका पूरी तरह से महरूम है। शंकर बाजार में एक सरकारी प्राइमरी स्कूल है। लेकिन, उसकी दशा बेहद दयनीय है। उस स्कूल में पढ़ाने वाले शिक्षकों का कुछ पता नहीं है। नतीजतन, वहां के लोग अपने बच्चों की शिक्षा के लिए गांव से पलायन को मजबूर हो रहे हैं।
कमला प्रसाद यादव सरकार के ‘सबका साथ सबका विकास’ के नारे को जुमला करार देते हैं। वह केंद्र सरकार की आवास योजना को भी वह धोखा बताते हैं। उनका आरोप है कि इस योजना के तहत कुछ ऐसे लोगों को आवास मिले हैं, जो पात्र नहीं हैं। लेकिन, हकीकत में जो बेघर हैं और नियमानुसार उन्हें आवास और शौचालय मिलने चाहिए थे, उन्हें कोई पूछने वाला ही नहीं है। इस इलाके के लोगों को अब तक पीने का शुद्ध पानी तक मुहैया नहीं हो पाया है। उन्होंने क्षेत्रीय विधायक और सांसद से मांग की है कि वे सहदेवगंज उत्तर के गांवों में बसे लोगों को भी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराएं, जिससे उनका जीवन कुछ बेहतर हो सके।