भारत

स्वस्थ मुख- स्वस्थ मुस्कान को ‘मीठा’ पहुंचा रहा नुकसान

-बच्चों के दांतों का दुश्मन बन रहा मीठे का अत्यधिक सेवन

नई दिल्ली, 2 अप्रैल (टॉप स्टोरी न्यूज नेटवर्क) : दंत क्षय या कमजोर और खोखले दांतों की समस्या भारत ही नहीं विश्व की सबसे बड़ी समस्या के तौर पर उभर रही है। दांतों की बीमारियां बढ़ने के पीछे ब्रश करने की खराब आदतें, खान-पान की गलत आदतें, दंत स्वास्थ्य के प्रति उदासीनता बरतने और दैनिक जीवन में मीठे का अत्यधिक सेवन करने जैसे कारक जिम्मेदार हैं। इससे बच्चों में मुंह की बदबू, दांतों की सड़न और दांतों में खोखलापन समेत अन्य दंत रोगों का तेजी से प्रसार हो रहा है।

एम्स दिल्ली के दंत शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र (सीडीईआर) की प्रोफेसर डॉ कल्पना बंसल ने कहा कि दंत क्षय की समस्या हमारे देश की बाल चिकित्सा आबादी में 40 से 50 प्रतिशत तक पाई जा रही है। इस समस्या के लिए समाज में बच्चों से लाड़-प्यार जताने के नाम पर उन्हें बार-बार चीनी युक्त स्नैक्स (मीठा) खाने की अनुमति दिया जाना प्रमुख कारण है। मीठे की अधिकता से दांतों में कैविटी और सड़न पैदा होती है। एम्स ने डेंटल हेल्थ के मद्देनजर हेल्दी स्माइल नाम का ऐप बनाया है जो पिछले 2 साल से लोगों को छोटे बच्चे के दंत स्वास्थ्य के प्रति जागरूक कर रहा है। एम्स ने अब इस ऐप को और एडवांस किया है, जिसके जरिए बच्चों की ओरल हेल्थ को ट्रैक किया जा सकता है। यह ऐप गूगल प्ले स्टोर से मुफ्त डाउनलोड किया जा सकता है।

वहीं, मौलाना आजाद दंत विज्ञान संस्थान (एमएआईडीएस) दिल्ली के प्रोफेसर डॉ अनूप कांसे ने कहा बच्चों को बचपन से ही दंत स्वास्थ्य और मुंह की स्वच्छता संबंधी आदतें डाली जानी चाहिए। इन आदतों से आने वाले वर्षों में दंत रोग समस्याओं को कम किया जा सकता है। डॉ कांसे ने कहा, अक्सर माता-पिता अपने छोटे बच्चों को चॉकलेट, टॉफी, जैली और कैंडी आदि खाने से नहीं रोकते हैं। वह सोचते हैं कि अभी बच्चे के दूध के दांत हैं जो टूटने ही हैं इसलिए उन्हें मीठा खाने से क्यों रोका जाए? 12-13 साल की उम्र में दोबारा आ जाएंगे। डॉ कांसे ने कहा ऐसे में बच्चे की देखभाल करने वालों और परिवार के अन्य बड़े सदस्यों को ज्यादा मीठा खाने के नुकसान और दांतों के रोग पैदा होने के बाबत जागरूक किया जाए तो समस्या को नियंत्रित किया जा सकता है।

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