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नए ओटी में अत्याधुनिक सी -आर्म मशीन से होगा टूटी हड्डी का उपचार

-एलएचएमसी में चर्म रोग व मानसिक रोग संबंधी सेवाओं का हुआ विस्तार

नई दिल्ली, 1 अप्रैल: सड़क दुर्घटना व अन्य कारणों के चलते गंभीर रूप से घायल मरीजों को अब अत्याधुनिक मेडिकल उपकरणों से सुसज्जित ऑपरेशन थियेटर (ओटी) में बेहतरीन सर्जरी की सुविधा मिल सकेगी। इसके लिए लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज (एलएचएमसी) से संबद्ध सुचेता कृपलानी अस्पताल और कलावती सरन बाल अस्पताल की चिकित्सा सेवाओं को लगातार अद्यतन किया जा रहा है। इसके तहत एलएचएमसी के एक्सीडेंट और इमरजेंसी ब्लॉक में दो अत्याधुनिक ओटी बनाए गए हैं। साथ ही चर्म रोग व मानसिक रोग संबंधी सेवाओं का भी विस्तार किया गया है।

चिकित्सा निदेशक डॉ. सुभाष गिरि के मुताबिक एलएचएमसी के नवनिर्मित आपातकालीन भवन में दो ओटी बनाए गए हैं। पहला ओटी अस्थि रोग संबंधी शल्य चिकित्सा के लिए समर्पित होगा। इसमें अत्याधुनिक सी -आर्म मशीन लगाई गई है जिससे ऑर्थोपेडिक सर्जरी वाले मरीज की टूटी हड्डियों को बेहतर ढंग से जोड़ा जा सकेगा और वह जल्द स्वस्थ हो सकेंगे। वहीं, दूसरे ओटी में पेट, स्तन, कार्डियक आदि सर्जरी समेत तमाम अन्य प्रकार की सर्जरी को अंजाम दिया जा सकेगा। इन ओटी में ऑक्सीजन आपूर्ति का कार्य चल रहा है जिसके पूर्ण होते ही सर्जरी की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी।

डॉ. सुभाष गिरि ने बताया कि आम जनता की सुविधा के लिए अस्पताल में चर्म रोग व मानसिक रोग संबंधी सेवाओं का विस्तार किया गया है। इसके तहत चर्म रोग से पीड़ित मरीजों के इलाज लिए 20 बेड और मानसिक रोग से पीड़ित मरीजों के लिए 60 बेड की अतिरिक्त व्यवस्था की गई है। इस व्यवस्था से लोगों को उपचार कराने में आसानी होगी। गिरि ने कहा, गरीब मरीजों को मुफ्त चिकित्सा सेवाएं प्रदान करने के लिए एक योजना बनाई गई है जिसमें जल्द ही सीजीएचएस लाभार्थियों को भी शामिल किया जाएगा।

उन्होंने बताया कि अस्पताल में किडनी विफलता से पीड़ित मरीजों की सुविधा के लिए हाल ही में हीमोडायलिसिस सेवा की शुरुआत की गई है। इसके लिए दो नई मशीनें खरीदी गई हैं जिनसे प्रतिदिन चार मरीजों को डायलिसिस की सुविधा दी जा सकती है। उन्होंने बताया कि नई मशीन से एक बुजुर्ग मरीज का सफल डायलिसिस किया जा चुका है। यह बुजुर्ग क्रोनिक किडनी रोग से पीड़ित था और उस की सेहत में सुधार आने के बाद अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया। यह डायलिसिस नेफ्रोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. एल एच घोटेकर और उनकी टीम ने संपन्न किया।

करीब 29 साल बाद मिली डायलिसिस सुविधा
हालांकि, अस्पताल में करीब 29 साल पहले यानी वर्ष 1995 में डायलिसिस की सुविधा शुरू की गई थी लेकिन अपरिहार्य कारणों से तब यह सुविधा चल नहीं सकी और धीरे -धीरे ये मशीनें इस्तेमाल किए बगैर ही बेकार हो गईं। अब नई मशीनों के आगमन से किडनी की स्वास्थ्य समस्या से जूझ रहे लोगों को फायदा होगा। इससे पहले मरीजों को डायलिसिस के लिए दूसरे अस्पतालों में रेफर करना पड़ता था।

क्या है डायलिसिस
किडनी फेल्योर या गुर्दा विफलता वाले मरीजों के लिए हीमोडायलिसिस, किडनी रिप्लेसमेंट थेरेपी का विकल्प है। यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें अवांछित अपशिष्ट, विषाक्त पदार्थों और अतिरिक्त तरल पदार्थों को निकालने के लिए रोगी के रक्त को डायलाइजर या ‘कृत्रिम किडनी’ के माध्यम से शरीर के बाहर फ़िल्टर किया जाता है। दीर्घकालिक किडनी विफलता वाले मरीजों के लिए डायलिसिस सुविधाएं आवश्यक हैं। यदि समय पर उपलब्ध नहीं कराया गया तो इससे मरीज की मृत्यु हो सकती है।

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