भारत

स्वदेशी विमानन कंपनी ने एक साल में कमाए 29,810 करोड़

-दक्षिण अमेरिकी देश गुयाना के रक्षा बलों को की गई हिंदुस्तान-228 विमानों की आपूर्ति

नई दिल्ली/बेंगलुरु, 1 अप्रैल (टॉप स्टोरी न्यूज नेटवर्क): एयरोस्पेस और रक्षा उद्योग क्षेत्र में भारत की अग्रणी कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) ने इस वर्ष रिकॉर्ड राजस्व प्राप्त किया है। कंपनी के मुताबिक उसने बीते 31 मार्च को समाप्त वित्तीय वर्ष में 29,810 करोड़ रुपये का रिकॉर्ड राजस्व हासिल किया है,जो पिछले वित्तीय वर्ष के मुकाबले लगभग 3 हजार करोड़ रुपये अधिक है। पिछले वर्ष यह राशि 26,928 करोड़ रुपये दर्ज की गई थी।

एचएएल के सीएमडी सी. बी. अनंताकृष्णन ने कहा, भू राजनीतिक मुद्दों के कारण उत्पन्न होने वाली प्रमुख आपूर्ति श्रृंखला चुनौतियों के बावजूद, कंपनी ने ना सिर्फ पूरे वर्ष बेहतर प्रदर्शन किया बल्कि अपेक्षित राजस्व में वृद्धि भी हासिल की है। उन्होंने कहा, 31 मार्च, 2024 तक, कंपनी की ऑर्डर बुक 94,000 करोड़ रुपये से अधिक है और वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान अतिरिक्त बड़े ऑर्डर मिलने की उम्मीद है। इसके साथ ही एचएएल और एयरबस ने नई दिल्ली में ए-320 वर्ग के विमानों के लिए एमआरओ सुविधाएं स्थापित करने के लिए एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए हैं जिससे मेक-इन-इंडिया मिशन को मजबूती मिलने के साथ निर्यात क्षमता में भी इजाफा होगा। वहीं, हेलीकॉप्टर इंजन के स्वदेशी डिजाइन और विकास के लिए सफ्रान हेलीकॉप्टर इंजन फ्रांस के साथ एक संयुक्त उद्यम एसएएफ- एचएएल गठित किया गया है।

अनंताकृष्णन ने बताया कि चालू वित्त वर्ष 2023-24 में 2 हिंदुस्तान-228 विमानों की आपूर्ति गुयाना रक्षा बलों की जा चुकी है। कंपनी ने विकास की गति को बरकरार रखा है। उन्होंने कहा, एलसीए एमके1ए के पहले उत्पादन श्रृंखला के लड़ाकू विमान ने 28 मार्च को अपनी पहली उड़ान पूरी करके एक बहुत ही महत्वपूर्ण मील का पत्थर हासिल किया है। इसके अलावा एचएएल और जनरल इलेक्ट्रिक, यूएसए ने एलसीए एमके2 विमान के लिए भारत में टीओटी और जीई-414 एयरो-इंजन के विनिर्माण के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। कंपनी को इस कार्यक्रम के लिए 80% प्रौद्योगिकी हस्तांतरण प्राप्त होगा जो भारतीय एयरो इंजन विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र को आत्मनिर्भर बना देगा। एक अध्ययन के अनुसार, भारत सबसे मजबूत सैन्य बलों में से एक है और दुनिया के शीर्ष 4 सबसे अधिक बजटीय सैन्य खर्च करने वाले देशों में से भी एक है।

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