आज का अध्यात्म ज्ञान:सामर्थ्यवान व्यक्ति होते हुए भी जो परोपकार नहीं करता उसकी सामर्थ व्यर्थ में चली जाती है-आचार्य निराला महाराज

आज का अध्यात्म ज्ञान:सामर्थ्यवान व्यक्ति होते हुए भी जो परोपकार नहीं करता उसकी सामर्थ व्यर्थ में चली जाती है-आचार्य निराला महाराज

व्यास- आचार्य निराला महाराज

फर्रुखाबाद-उ० प्र०: सामर्थ्यवान व्यक्ति होते हुए भी जो परोपकार नहीं करता उसकी सामर्थ व्यर्थ में चली जाती है और अन्त में उसे नरक जाना पड़ता है। ज्ञानी के पास ज्ञान मूर्ख की धरोहर है धनवान के पास धन निर्धन की धरोहर है वलवान के पास वल निर्बलों की धरोहर है ऐसा विचार वार-बार करते हुए उपरोक्त सामर्थ का सदुपयोग कर समाज को सुख प्रदान करना चाहिए। ईश्वर का प्रेमही साधक का जीवन है उस परमात्मा का विश्वास ही साधक का वल है उसकी कृपा का आश्रय ही साधक की साधना है। और सब प्रकार से उसी का होकर रहना ही साधक का परम पुरुषार्थ है। पुरुषार्थ ही मानव का मूल कर्तव्य है। इससे वंचित नहीं रहना चाहिए।

Comments are closed.