आज का अध्यात्म ज्ञान: मानव की मंजिल कुछ और नहीं वरन उसका अपना ही स्वरूप है-आचार्य निराला महाराज

आज का अध्यात्म ज्ञान: मानव की मंजिल कुछ और नहीं वरन उसका अपना ही स्वरूप है-आचार्य निराला महाराज

व्यास- आचार्य निराला महाराज

फर्रुखाबाद-उ० प्र०: मानव की मंजिल कुछ और नहीं वरन उसका अपना ही स्वरूप है अत: मानव मात्र को निज स्वरूप की प्राप्ति का लक्ष्य होना चाहिए कठिनाई तो यह है कि वह अपने स्वरूप की विस्मृति कर बैठा है जिसके कारण -चेतन, अमल, सहज सुख राशि होते हुए भी अपने कोसुख दुख से वंधा हुआ मान मोह के कारण चौरासी लाख योनियों का जनम-मरण का असहनीय वेदना प्राप्त करता है। हम प्राणियों का दूसरों को जानने का स्वभाव बना रहता है। स्वयं को जानो तो काम बने ,बंधन मुक्त होते हुए भी अपने को बंधन में मान बैठा जैसे- वन्दर घड़े के अन्दर रखे चना पाने को घड़े में हाथ डालता है और चना की मुट्ठी बांध हाथ बाहर निकलना चाहता है। घड़े का मुख छोटा है हाथ नहीं निकाल पाता समझता है हमें किसी ने पकड़ लिया है पर ऐसा है नहीं चना छोडे तो हाथ बाहर आ जाय यही स्थिति हम सभी की हो गयी है जब कोई सद्‌गुरू उसको उसकी अज्ञानता का मान करा देता है तो मुट्ठी खोल देता है तत्क्षण बन्धन मुक्त हो जाता है।। .

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