आज का अध्यात्म ज्ञान: परमात्मा से प्रेम कर कल्याण के अधिकारी बनने का संकल्प हर मानव के ह्रदय में उत्पन्न होता है
व्यास- आचार्य निराला महाराज
फर्रुखाबाद-उ० प्र०: उस परमपिता परमात्मा से प्रेम कर कल्याण के अधिकारी बनने का संकल्प हर मानव के ह्रदय में उत्पन्न होता है लेकिन संकल्प दृढ़ नहीं हो पाता विकल्प के द्वारा अज्ञान जनित क्रियाओं का पाप रुपी भार मोह के बंधन में अनवरत कस कर बांधता रहता है। इस जाल से मुक्त होने के लिए सत्संग की परम आवश्यकता है। और सत्संग भगवत्कृपा से मिलता है। हर स्थिति में हरी स्मरण करते रहना चाहिए। ईश कृपा से सत्संग ,सत्संग से विवेक और विवेक द्वारा मोह (अज्ञान ) भ्रम दूर होता है विवेक का प्रकाश ही मानव जीवन का वास्तविक मूल स्वरुप है। अज्ञान का नष्ट होना ही यथार्थ ज्ञान,बिना ज्ञान वास्तविक सुख नहीं।

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