आज का अध्यात्म ज्ञान: आज कल प्रायः निर्गुण का गान बहुत हो रहा है और कहा जाता है कि परमात्मा निराकार है-आचार्य निराला महाराज
व्यास- आचार्य निराला महाराज
का गान बहुत हो रहा है और कहा जाता है कि परमात्मा निराकार है। और वो अपने को सीधे उस अविकारी से जुड़ा हुआ घोषित करते है जो की किसी काल में संभव नहीं है बिन उपासना की पद्धति का प्रयोग किये निराकार का भान नहीं कर सकता। परमात्मा की प्राप्ति का एक मात्र साधन उपासना है जैसे गणित में बहुत ऐसे सवाल है बिना माना के हल नहीं होते ऐसे ही परमात्मा बिना माना के नहीं मिलते। उपासना के लिए किसी धातु,पत्थर,लकड़ी अथवा मिटटी की मूर्ति को अपने आराध्य का माध्यम बना के अपना ध्यान केंद्रित करते है ईश्वर व्यापक है यह सर्व सिद्ध है। चलो हम यह भी मान लेते है की यह मूर्ति भगवान् नहीं परन्तु उस निकृष्ट वास्तु में उत्कृष्ट भावना करते है वह भावना ही उपासना बन जाती है प्रतिक परमात्मा नहीं है परन्तु उसके माध्यम से हमें परमात्मा की प्राप्ति होती है।

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