आज का अध्यात्म ज्ञान: साधक को जब संसार का वास्तविक बोध हो जाता है तो उसे संसार से भय होने लगता है-आचार्य निराला महाराज

आज का अध्यात्म ज्ञान: साधक को जब संसार का वास्तविक बोध हो जाता है तो उसे संसार से भय होने लगता है-आचार्य निराला महाराज

व्यास- आचार्य निराला महाराज

फर्रुखाबाद-उ० प्र०: साधक को जब संसार का वास्तविक बोध हो जाता है तो उसे संसार से भय होने लगता है। भयभीत अवस्था में प्राणी ईश्वर चिंतन तथा शरणगति ग्रहण करता है क्योकि वह जान लेता है की संसार में भोग से रोग का भय,बलवान को शत्रु का भय ,शरीर को जज्जर अवस्था का भय ,मौन से दैन्यता का भय,गुणवान होने पर खलो का भय,रूपवान को वृद्धा अवस्था का भय,शास्त्र ज्ञान से विवाद का भय ,धनवान होने पर कर टेक्स का भय। संसार में हर वस्तु भय प्रदान करने वाली है एक मात्र जगत से वैराग्य ही अभय प्रदान करता है। विरागी ही सच्चा हरि का अनुरागी होता है। वही साधक बड़ा भागी होता है।

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