अधर्म पर धर्म की विजय: 2024 का आम चुनाव अधर्म और धर्म के बीच होगा

अधर्म पर धर्म की विजय: 2024 का आम चुनाव अधर्म और धर्म के बीच होगा

राकेश शर्मा

जगदगुरु रामभद्राचार्य , तुलसीपीठ , चित्रकूट के संस्थापक एवं प्रमुख हैं। हाल ही में चल रहे सनातन धर्म पर I.N.D.I.A. नामक खंडित विपक्षी दलों के गठबंधन के अनेकानेक हमलों से व्यथित होकर कल जगदगुरु रामभद्राचार्य ने खुलकर कहा की 2024 का आम चुनाव कांग्रेस, खंडित विपक्षी गठबंधन और भाजपा के बीच नहीं है बल्कि यह चुनाव अधर्म और धर्म के बीच होगा। उन्होंने सनातन का विरोध करने के कारण कांग्रेस और विपक्षी दलों को अधर्मी कहा और भाजपा को धर्म का पक्षधर। बल्कि इससे एक कदम आगे जाकर 2024 में इन्होंने भाजपा की विजय की भविष्यवाणी भी कर दी।
ऐसे ही भाव और भी कई संतों, मठाधीश्वरों एवं साधुओं ने भी व्यक्त किये हैं। साधु संत साधारणतः किसी राजनैतिक दल का समर्थन या विरोध नहीं करते हैं लेकिन यदि वह साफ़ साफ़ किसी का विरोध कर रहें हैं तो उनकी पीड़ा और श्राप के भाव को गहराई से समझने की ज़रूरत है।

मनोविज्ञान में झूठ पकड़े जाने या कुछ खोने के भय से अवसाद में रहने वाले व्यक्ति को ग़ुस्सा, चिड़चिड़ापन, अति उत्साह, दौड़ते भागते अपरिपक्व विचार, कंपन , चिल्लाना इत्यादि लक्षण बताए गये हैं। आजकल यदि आप टीवी चैनल्स पर सनातन पर चल रही बहस को देख रहें हैं तो आपने देखा होगा विपक्ष के नेताओं और प्रवक्ताओं का आचरण और व्यवहार एकदम अर्ध विक्षिप्त सा हो गया है।
खंडित I.N.D.I.A. के नेता कैसे भी अल्पसंख्यकों के थोक वोट लेने के उद्देश्य से कुछ भी सनातन और हिंदुओं के विरुद्ध बोल रहें हैं। सनातन को समाप्त करने की बात कह रहें हैं, इसे करोना, डेंगू मलेरिया, कोढ़ इत्यादि इत्यादि कह रहें है। कोई हिंदू धर्म को धोखा कह रहा है, कोई रामायण को अपशब्द कह रहा है। इसमें द्रमुक, कांग्रेस, समाजवादी, राज़द, टीएमसी, कम्युनिस्ट सभी शामिल हैं। हैरानी की बात है की I.N.D.I.A के एक भी नेता या दल ने इसका खुलकर अभी तक विरोध नहीं किया है इसका मतलब यही निकलता है की एक रणनीति के तहत सनातन के विरोध का विपक्षी गठबंधन का परोक्ष या अपरोक्ष या मौन समर्थन प्राप्त है।

इन्हें पता ही नहीं इससे फ़ायदा होने की बजाए ज़बर्दस्त नुक़सान होने वाला है। अब तो ऐसा पक्का लगने लगा है की I.N.D.I.A. का गठन ही सनातन और हिंदुओं को अपशब्द कहने और ख़त्म करने के लिए ही हुआ है। यह भी साफ़ है की विपक्षी गठबंधन ने भाजपा को जीताने की कहीं से सुपारी ले ली है।

आजकल हर रोज़ विपक्षी घटक के सभी दल सनातन और हिंदुओं को पानी पी पी कर कोस रहें हैं।
अब ताज़ी हरकत हिंदू हृदय सम्राट बाला साहेब ठाकरे के हिंदू विरोधी नालायक कपूत उद्धव की ही बात सुनो डरा रहें हैं की चुनाव जीतने के लिए भाजपा राम मंदिर के भव्य उद्घाटन के बाद लाखों हिंदुओं से गोधरा जैसा कांड कराकर दंगे करा सकते हैं। यह वही व्यक्ति है जिसने अपने दिवंगत पिता की इच्छा के विरुद्ध सत्ता के लालच में कांग्रेस से गलबइयाँ करी, वीर सावरकर के बारे में बुरा भला सुना, पालघर में साधुओं की हत्या पर कोई कड़ी कार्यवाही नहीं की। मुस्लिम तुष्टिकरण करने वाली कांग्रेस पार्टी की हर नाजायज़ माँग के सामने घुटने टेकते हुए नतमस्तक हुए। इतनी गंभीर साज़िश जो उद्धव ने प्रेस के सामने उगली है यदि सत्य है तो पुलिस को तुरंत इस व्यक्ति को बुलाकर गहन पूछताछ कर इस षड्यंत्र का पर्दाफाश करना चाहिए। उद्धव को रामभक्तों और हिंदुओं को भयभीत करने का कोई ओचित्य नहीं है, और ऐसी अफ़वाहों पर रोक लगनी चाहिए वरना चुनाव आते आते ना जाने देश ने क्या करवाने का प्लान बनाकर बैठे हैं।

हिंदू और सनातनावलंबी बहुत सहिष्णु हैं, इतनी बड़ी बात पर भी कोई दंगा फ़साद नहीं कर रहे लेकिन सनातन विरोध हर हिंदू के दिल में गहरी पैंठ बैठा गया है और इसकी चोट विपक्ष को चुनावों के नतीजों में अवश्य मिलेगी। यह वो ज़ख़्म है जो विपक्ष को हिट विकेट कर गया है। अब इस चुनाव में तो इसकी भरपाई मुश्किल लग रही है।

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