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कैंसर पीड़ित पति संग तीन अस्पतालों में भटकने के बावजूद नहीं मिला इलाज, मौत

-कैंसर पीड़ित की पत्नी करीब नौ घंटे तक दिल्ली के एम्स, सफदरजंग और जीबी पंत अस्पताल में भटकती रही

नई दिल्ली, 2 अप्रैल (टॉप स्टोरी न्यूज नेटवर्क) : कैंसर पीड़ित पति के उपचार के लिए विभिन्न अस्पतालों में भटक रही महिला का पति उचित इलाज के अभाव में दुनिया से चला गया। महिला अपने कैंसर पीड़ित पति को लेकर 9 घंटे तक दिल्ली के तीन अस्पतालों में भटकती रही लेकिन किसी ने बेड खाली नहीं होने तो किसी ने वेंटिलेटर उपलब्ध न होने की बात कह कर भर्ती नहीं किया। आखिरकार कैंसर पीड़ित पुनीत (46 वर्ष) की मौत हो गई।

दरअसल पीड़ित अपनी पत्नी के साथ उत्तराखंड से दिल्ली इलाज के लिए आए थे। उनके चार बच्चे हैं और वो खेती-बाड़ी से जुड़ी चीजों की दुकान चलाते थे। पुनीत को जीभ का कैंसर था। उनकी पत्नी सपना ने कहा कि उनका परिवार संपन्न नहीं है, इसलिए वे पुनीत को इलाज के लिए किसी निजी अस्पताल में ले जाने के बारे में सोच भी नहीं सकती थीं। वह अपनी बचत के पैसे लेकर अपने पति के इलाज की उम्मीद में दिल्ली आई है। पुनीत को 16 मार्च को दिल्ली स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट (डीएससीआई) में भर्ती कराया गया था। सपना अस्पताल के ही पास एक निजी लॉज में रुकी थीं।

डीएससीआई ने मरीज की स्थिति में सुधार न होता देख, बेहतर इलाज के लिए 28 मार्च को एम्स और जीबी पंत अस्पताल के लिए रेफर कर दिया गया। सपना के मुताबिक 29 मार्च की सुबह 8 बजे पुनीत को एम्स दिल्ली ले जाया गया। लेकिन डॉक्टरों ने उनके पति को एक बार भी नहीं देखा।वहां बताया गया कि मरीज के लिए बेड और वेंटिलेटर उपलब्ध नहीं है इसलिए भर्ती नहीं किया जा सकता। डॉक्टरों ने सपना से कहा कि वह अपने पति को सफदरजंग अस्पताल ले जाएं। वहां उन्हें बेड मिल सकता है। सपना ने बताया कि जब वो सफदरगंज पहुंचीं तो उनसे रेफरल मांगा गया जो उनके पास नहीं था जिसके बाद कथित तौर पर अस्पताल ने बेड देने से इनकार कर दिया।

इसके बाद सपना अपने पति को लेकर जीबी पंत अस्पताल पहुंचीं। वहां भी उनके पति की कोई मदद नहीं हो पाई। हारकर पुनीत के परिवार ने रात के करीब 12.30 बजे पीसीआर को कॉल किया और पुनीत को भर्ती कराने में मदद मांगी। सपना के मुताबिक पीसीआर के हस्तक्षेप के बावजूद जीबी पंत अस्पताल ने वेंटिलेटर और बेड न होने के चलते भर्ती करने से इनकार कर दिया। उन्होंने बताया कि लगभग सात घंटे तक उन्हें अस्पताल में एक विभाग से दूसरे विभाग में जाना पड़ा। इस दौरान उनके पति की तबियत खराब हो गई। तब उसने पुनीत को वापस डीएससीआई में ले जाने का फैसला किया। 30 मार्च को सुबह 3 बजे के आसपास पुनीत को डीएससीआई ले जाया गया, जहां करीब दो घंटे के बाद उनकी मौत हो गई।

 

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